मोहब्बत में ऐसा क्यों होता है, बेवफाई में वो रोते हैं और वफ़ा में हम रोए हैं
दुनिया वालों का भी अजीब दस्तूर है बेवफाई मेहबूब से मिलती है , और बेवफा मोहब्बत बन जाती है
मुझे बेवफाई नहीं चाइये थी, मुझे धोका नहीं चाइये था, मुझे तो बस थोड़ा सा प्यार चाइये था
हमने ये सोचा वो वापिस आए हमारी मोहब्बत के लिए, मगर वो बेवफा वापिस आए सिर्फ अपने काम के लिए
दूरी और बेरुखी का जब उनसे जवाब माँगा गया , तो हमें Bewafa बना के हमसे रिश्ता तोड़ने का जवाब दिया
हम गम, तन्हाई और जुदाई से मरते रहे और वो बेवफा बनके चुप बैठे रहे
दिल भर ही गया है तो मना करने में डर कैसा, मोहब्बत में बेवफाओ पर कोई मुकदमा थोड़े होता है
मेरी प्यार की कहांनी तो उसने ख़तम करदी, मुझे मेरी बर्बादी का कोई गम नहीं है , हशर यही तो होता है दीवानो का