नशा मोहब्बत का हो या, शराब का, होश दोनों में खो जाता है फर्क सिर्फ इतना है, शराब सुला देती है, और, मोहब्बत रुला देती है
कुछ तो शराफत सीख ले, ऐ “इश्क़” शराब से बोतल पे लिखा तो होता है, मैं जानलेवा हूँ
एक तेरा ही नशा है जो शिकस्त दे गया मुझे वर्ना मयखाने भी तौबा करते थे मेरी मयकशी से
किसी लड़की को इतना चाहना मत भुलाने को उसे मदिरा पिओ तुम
प्यार मुहब्बत बाद की बातें, जान कभी ये सोचा है किसने तेरा साथ दिया था, कौन नशे में ख़त्म हुआ
थोड़ी सी पी शराब, थोड़ी सी उछाल दी कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी
किसी से मोहब्बत की जगह शराब से मोहब्बत कर लो शराब, नशा भी कराती है और धोखा भी नहीं देती
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