एक तरफ़ा प्यार शायरी !

प्यार करने का सलीका मैंने सीखा तुझसे, एक तरफ़ा प्यार करके

हर एक सच्चा प्यार एक तरफा नहीं होता, पर एक तरफ़ा प्यार हमेशा सच्चा होता है

सच्चा प्यार उसी से होता है, जो कभी हमारे नही हो सकते है

दिल पर तू जुबां पर तेरा नाम है, फिर भी तू मेरा क्यूँ नही है, इसी बात से मैं परेशान हूँ

प्यार अपना है यह कहते कहते कभी यह पता  ही नहीं चला  साला हमारा प्यार भी एकतरफा निकलेगा

तू पसंद है मुझको बस कहने से डरता हूँ ! चोरी-चोरी बस तुझसे ही इश्क करता हूँ

 तुझे प्यार नहीं है मुझसे,ये जानता है दिल, फिर भी रोज़ तेरी हाँ की उम्मीद लगाता है

 बड़े सुकून से वो रहता है आज कल मेरे बिना, लगता है जैसे सदियों से उसके उपर बोझ थे हम