वो तेरे खत तेरी तस्वीर और सूखे फूल, उदास करती हैं मुझको निशानियाँ तेरी
ऐ दिल तू क्यों रोता है, ये दुनिया है यहाँ ऐसा ही होता है
बड़ी अजीब होती हैं ये यादें, कभी हंसा देती हैं कभी रुला देती हैं
दिल ने सोचा था की टूट कर चाहेंगे उसे, सच मनो टूटे भी बहुत और चाहा भी बहुत
कभी खामोश रहने पर भी हो जाती थी, हमारी फिक्र उनको, आज आंसू बह जाने पर भी जिक्र नहीं होता
अकेले रोना भी क्या खूब कारीगरी है, सवाल भी खुद के होते है, और जवाब भी खुद के
कुछ अजीब सा चल रहा है ये वक्त का सफर, एक गहरी सी खामोशी है खुद के ही अंदर