65+ Missing Home Quotes in Hindi

Missing Home Quotes in Hindi. जिस घर में हमारा बचपन बिता, खेले-कूदे, बड़े हुए, जहाँ हमारा पूरा परिवार हो, जब ऐसे घर छोड़कर कहीं जाना पड़ता तो घर की याद आना तो लाजिमी है| अक्सर हमें पढाई के लिए ये काम काज की वजह से घर से दूर जाना पड़ता है| कभी घर में कुछ काम हो या त्यौहार हो और ब्यस्तता की वजह से जब घर नहीं जा पाते है तो काफी निराशा होती है| ऐसे अवसरों पर घर की काई याद आती है| आज का हमारा ये पोस्ट Missing Home Quotes in Hindi भी ऐसे ही अवसर के लिए है| आप को ये पोस्ट पढ़कर काफी अच्छा लगेगा|

Missing Home Quotes in Hindi

Missing Home Quotes in Hindi

दर-ब-दर ठोकरें खाईं तो ये मालूम हुआ
घर किसे कहते हैं क्या चीज़ है बे-घर होना

शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है
मस्ती में बिता जहाँ बचपन वो गाँव याद आता है

याद आती है घर की हमको, दिन के हर पहर में
अब जो रहने लगे हे घर से दूर हम, ये नौकरी वाले शहर में

हजारों मकान तलाश किये कोई ऐसा शहर न मिला
महल मिले पर अपने माँ-बाप के जैसा घर ना मिला

गांव की गलियों ने भी पहचान ने से इन्कार कर दिया
यूं किसी से ज्यादा दिन दूर रहना अच्छा नही होता

चौखट पर बैठी वो माँ आज भी याद है उसके
आँखों आई विदाई की आंसू आज भी मेरे आँखों में रुके हुए है

घर से दूर हैं तो घर की याद आती है, वो बचपना वो छोटी सी मोहब्बत याद आती है
कभी मन होता है कि भूल जायें सब कुछ मगर, हाथ जलता है जब तवे से तो माँ की याद आती है

ना कुछ पाने की आशा ना कुछ खोने का डर, बस अपनी ही धुन बस अपने सपनो का घर
काश मिल जाए फिर मुझे वो बचपन का पहर

परिवार की अहमियत तब समझ में आती है
जब दूर शहर में घर की यादें सताती है

कितने तन्हा हो गए है घर से दूर रह कर
जी तो रहे मगर मजबूर हो कर

Missing Home Quotes in Hindi

किस से पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ कई बरसों से
हर जगह ढूँढता फिरता है मुझे घर मेरा

हमने भी सो कर देखा है, नए पुराने शहरों में
जैसा भी हे अपने घर का बिस्तर, अच्छा लगता है

मुझे मालूम था की वो रास्ते मेरी मंजिल तक नहीं जाते थे
क्योकि उस राह में कुछ अपनों के घर भी आते थे

दूर रहने पर घर का खाना याद आता है
खाने के वक्त माँ का बुलाना याद आता है

घर की दहशत से लरजता हू, मगर जाने क्यों
शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है

वो मिट्टी का घर अब भी मुझे याद आता है
वो दिन थे अनमोल यह बात याद दिलाता है

दिल में अब भी दर्द बहुत है, उनकी बहुत याद आती है
घर छोड़े सालो हो गए, मुझे माँ की याद बहुत सताती है

आज भी वह घर खाली है, जहां पहले खुशियां बस्ती थी
घर की टंगनी भी खाली है, जहां गीली चादर टंगती थी

आकाश में उड़ रहे पंछी को भी घर की याद सताती है
चाहे हो दूर_कितने भी घर की याद आती है

मुझे ख़बर थी मेरा इन्तजार घर में रहा
ये हादसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा

I Miss My Home Quotes in Hindi

I Miss My Home Quotes in Hindi

खुशी के माहौल में, मौत का फरमान आ रहा हैं
जो कहते थे की गांव में क्या रखा है, आज उन्हें भी गांव याद आ रहा हैं

बिजली गुल है, पानी घर से उतर चुका, सड़क बहा बहाव में
कब आएगा घर का मालिक, फिर लौटकर अपने गांव में

अब घर भी नहीं घर की तमन्ना भी नहीं है
मुद्दत हुई सोचा था कि घर जाएँगे इक दिन

कुछ ख्वाहिशों ने, कुछ जरूरतों ने मजबूर किया
घर की जरूरतों ने ही घर से दूर किया

ढूंढ रहा है मेरा मन आज फिर उन_गलियों को
जहाँ मेरा बचपन खेला करता था

दूर रहना और घर को याद करना
अभी तो यही है मेरा अफसाना

अखबार तो रोज़ आता है घर में
बस अपनों की ख़बर नहीं आती

मौत न आई तो अगली छुट्टी में घर जाएँगे

मेहमान की तरह घर से आते-जाते
बेघर हो गये है हम कमाते-कमाते

घर जाने की ख़ुशी अलग हीं होती है
घर जैसी जगह और ”कहीं” नहीं होती है

दीवार क्या गिरी मेरे कच्चे मकान की फ़राज़
लोगों ने मेरे घर से रास्ते बना लिए

बाहर का खाना जीभ के लिए अच्छा होता है
जबकि घर का खाना शरीर के लिए अच्छा होता है.

घर से दूर रहने का दर्द ना पूछो क्या होता है
तन भले कहीं और हो, लेकिन_दिल वहीं होता है

सुकून की तलाश में हम कई दर घूम आए
लेकिन घर जैसा सुकून कहीं और नहीं पाया

सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता

Ghar Ki Yaadein Shayari in Hindi

Ghar Ki Yaadein Shayari in Hindi

जाने कैसे कुछ परिंदे, छोड़ कर अपना बसेरा
बना लिया करते, इधर उधर डेरा

ठहाके छोड़ आये हैं अपने कच्चे घरों मे हम
रिवाज़ इन पक्के मकानों में बस मुस्कुराने का है

बहुत आसान है जमीन पे घर खड़ा कर लेना
जिन्दगी गुजर जाती है दिल में घर बनाने के लिए

दूर होके भी जो हमेशा पास होती है
वो एक फॅमिली है जो सभी की ख़ास होती है.

एक खूंटा अड़ा हे, खड़ा है… अपने बछड़े की तलाश में
क्या बंध पाएगा फिर से बछड़ा, अपने खूंटे की निवास में

घर याद आता है माँ याद आती है
जब यह शहर भूखे पेट सुलाती है

मां बाप के बिना घर, घर नहीं लगता, खाए पिए का असर नहीं लगता
घर की मुझे याद बहुत आती है, एक पल भी मेरा दिल शहर में नहीं लगता

ये सर्द रात ये तन्हाईयाँ ये नींद का बोझ
हम अपने शहर में होते तो घर गए होते

उस की आँखों में उतर जाने को जी चाहता है
शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है

सुना है कि उसने खरीद लिया है करोड़ो का घर शहर में
मगर आँगन दिखाने वो आज भी बच्चों को गाँव लाता है

Ghar Ki Yaad Shayari in Hindi

Ghar Ki Yaad Shayari in Hindi

एक ही ख्वाब देखा है कई बार मैंने
तेरी साडी में उलझी है चाबियां मेरे घर की

शहर भर में मजदूर जैसे दर-बदर कोई न था
जिसने सबका घर बनाया उसका घर कोई न था

क्या शहर क्या गांव, सब बदलने लगे
एक घर में कई चूल्हे जलने लगे

गर्मी बहुत थी दोस्तो अपने भी खुन में
घर की जिम्मेदारियो ने झुकना सिखा दिया

बड़ी चोट खायी जमाने से पहले, जरा सोचिये दिल लगाने से पहले
मुहब्बत हमारी नहीं रास आई, लगी आग घर को बसाने से पहले

दिल मे घर करके बैठे है ये जो ज़िद्दी से ख़्वाब
कागज पे उतार मै वो सारे मेहमान ले आऊँ

ठहाके छोड़ आये हैं अपने कच्चे घरों मे हम
रिवाज़ इन पक्के मकानों में बस मुस्कुराने का है

हर दिन शाम से पहले घर आना सिखाया था माँ ने
इस तरह अच्छी आदतों के साथ जीना सिखाया था माँ ने

काश मेरा घर तेरे घर के सामने होता
मोहब्बत न सही दीदार तो होता

दुनियाँ भर की यादें हम से मिलने आती है
शाम ढले इस सूने घर में मेला सा लगता है

Ghar Ki Yaad Status in Hindi

Ghar Ki Yaad Status in Hindi

कब आओगे ये घर ने मुझ से चलते_वक्त पूछा था
यहीं आवाज अब तक गूंजती है मेरे कानों में

जब हम व्यस्त होते है तो खुद को भी भूल जाते है
मगर जब जब मन शांत होता है घर_घर के बहार लगती वो दरबार याद आती है

आज फिर हास्टल में कहीं से इक मीठी खुशबू_छाई है
लगता है किसी के हिस्से में माँ के हाथ की रोटी आई है।

अगर खिलाफ है, होने दो जान थोड़ी है, ये सब धुआं है, कोई आसमान थोड़ी है
लगेगी आग तो, आयेंगे घर कई जद में, यहाँ पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है

घर से निकलो तो पता चलता है, जख्म उसका भी नया लगता है
रास आ जाती है तन्हाई भी, एक-दो रोज बुरा लगता है
कितने जालिम है दुनिया वाले, घर से निकलो तो पता चलता है

यादो का ”समूह” होता है घर का बरामदा जंहा खड़े होकर गांव का नजारा लिए करते थे
उसकी याद अभी_सीने से निकल ही जाती है

घर को घर बनाने के लिए घर से दूर चले जाते है, दूसरे शहरों में अपना आशियाना बना लेते है
घर में मेहमान आने पर, सबसे लाडला बेटा बताती थी माँ
पर सपनो के खातिर अब खुद ही मेहमान बनकर घर जा पते है

उजाले खरीदने गया था, जुगनू बटोर लाया हूँ, एक उम्र का गम में, यहाँ तक उठा लाया हूँ
आओ खुशियां मना ले कुछ दिन तलक यारो, मगर इतला करो, में अपने घर लौट आया हूँ

दूर है तुमसे, पर फिर भी में दूर नहीं, मजबूर हु मिलने को, पर फिर भी में मजबूर नहीं
एक चिराग ही जला देना मेरे नाम का माँ, मेरा साया ही सही, कोई तो पहुंच सकेगा इस दिवाली वहाँ

घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़़ते देखे, चुपके चुपके कर देती है जाने कब तुरपाई अम्मा
बाबूजी गुज़रे आपस में सब चीज़ें तक़सीम हुईं, तब मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से आई अम्मा

कल तक जो साथ थे आज अलग क्यूँ बैठे हैं, घर के सामने इतनें सामान बिख़राए क्यूँ बैठे हैं
फिर से ये दोनों भाई पंच बुलाए यहाँ क्यूँ बैठे हैं, दोनों भाई बंटवारे का मुद्दा लिए यहाँ क्यूँ बैठे हैं

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