Shayari on Red Saree.साडी हमेशा से भारतीय महिलाओं का एक बहुत ही सुन्दर परिधान रहा है जिसमे महिलाएं बेहद सुन्दर दिखती है| साडी भारत में किसी ख़ास छेत्र, भूगोल, वर्ग विशेष का परिधान नहीं रहा है बल्कि ये हर वर्ग की महिलाओं का परिधान रहा है| इस एक परिधान ने हमेशा सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है खासकर फ़िल्मी जगत का जहाँ इसपर ना जाने कितने गाने और नज्में लिखी गयी है| भारत में हर छेत्र के हिसाब से साडी की कई किस्में है जो अपने आप में बेहद सुन्दर है| इन किस्मों में भी कई रंग की साड़ियाँ है जिसमे से लाल रंग बेहद ख़ास है| इस आर्टिकल में हम लाल रंग की साड़ियों के ऊपर कई शायरियां लेकर आये है जो लाल साडी की और उसे पहनने वाले की खूबसूरती में लिखी गयी है|
Shayari on Red Saree
यूँ तो हर कपडे में सुन्दर दिखती हो पर लाल साडी में हद पार कर देती हो
वो लाल साडी पहनकर जब आती थी सारी कायनात ही संवार लेती थी
क़यामत पर कयामत आई है, आज ना जाने किसकी मौत आई है मेरी जान आज फिर लाल साडी पहनकर आई है
लाल साडी ऊपर से रंग तुम्हारा गोरा जैसे काली रात में हो जैसे चाँद कोई चकोरा
की बेरंग महफ़िलों में भी वो जान भर गयी लाल साडी में वो कत्लेआम कर गयी
लाल साड़ी, लाल बिंदी और उसपर उनकी झुकी नजर इससे खूबसूरत और क्या मंजर देखती देखने वाले की नजर
तारीफ़ करता था मैं उसकी जुल्फों की मेरे लफ़्ज कम पड़ गये जब उसने लाल साड़ी पहन ली
ना जाने कितने दिलों का वो कत्ल करने आई है एक खूबसूरत हसीना लाल साड़ी पहनकर आई है
क़यामत तो नहीं देखी पर उसे लाल साडी में देखा है
लाल साड़ी में खूबसूरत लगते है ऐसा वो हमेशा कहते है अब उन्हें कैसे बताएं हम तैयार भी तो उनके लिए ही होते है
साड़ी में उनकी एक झलक क्या देखी इन आँखों ने पलक झपकना ही बंद कर दिया
दिल तो कहता था कि लहंगा पहन लू लेकिन लाल साड़ी जब पहनी, तो मेरा खूबसूरत चेहरा कुछ ज्यादा ही निखर आया
जाती हूँ मै हर फंक्शन में, अलग ही है मेरी पहचान लाल साडी जो पहन के जाती हु मै, करते है सब मेरा सम्मान
ज़िन्दगी जिनका तरीका कुछ अलग है मेरा लेहेंगा छोड़ आज लाल साड़ी पहनने का दिल है मेरा
दीवाली का त्यौहार है, पहनी मैंने आज लाल साड़ी बड़ी ख़ास है पुरे मोहल्ले में आज सिर्फ मेरी ही बात है
बड़ा सुकून मिलता है मुझे साड़ी पहन कर मैंने लाल साड़ी पहन क्या ली, तारीफ के पूल जो बांधते है मेरे