Nasha Shayari in Hindi. आज का हमारा ये पोस्ट काफी दिलचस्प होने वाला है और आपको इसे पढ़कर काफी मजा आने वाला है | आज के इस पोस्ट में हम नशा शायरी लेकर आयें है | नशा कई तरह का होता है, प्यार का नशा, महखाने का नशा, दोस्ती का नशा ये फिर दुश्मनी का नशा | शायरों ने नही इसपर अपनी कलम से कई शायरियां उकेरी है और उम्मीद है आपको भी इसपर इस पोस्ट में दी गयी शायरियां पसंद आयेगी |
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Nasha Shayari in Hindi
नशे में सूझती है मुझे दूर दूर की नद्दी वो सामने है शराब-ए-तुहूर की
कर दो तब्दील अदालतों को मैखाने में सुना है नशे में कोई झूठ नही बोलता
मत पूछ उसके मैखाने का पता ऐ साकी उसके शहर का तो पानी भी नशा देता है
तन्हाईयों के आलम की ना बात करो जनाब नहीं तो फिर बन उठेगा जाम और बदनाम होगी शराब
मुझे शराब पिलाई गई है आँखों से मेरा नशा तो हज़ारों बरस में उतरेगा
इतनी पी जाए कि मिट जाए मैं और तू की तमीज़ यानी ये होश की दीवार गिरा दी जाए
कभी नशा कहा कभी जाम कह दिया नई शराब मिली तो सलाम कह दिया
यहाँ कोई न जी सका, न जी सकेगा होश में मिटा दे नाम होश का, शराब ला शराब ला
बोतल छुपा दो कफ़न में मेरे, शमशान में पिया करूंगा जब खुदा मांगेगा हिसाब, तो पैग बना कर दिया करूंगा
चले तो पाँव के नीचे कुचल गई कोई शय नशे की झोंक में देखा नहीं कि दुनिया है
Nasha Shayari in Hindi
जीना कहते हैं जिसे, है तमाशा करना जैसे नशे में हो, फिर से नशा करना
यूँ बिगड़ी बहकी बातों का, कोई शौक़ नही है मुझको वो पुरानी शराब के जैसी है, असर सर से उतरता ही नहीं
मयखाने में आऊंगा, मगर पिऊंगा नहीं साकी ये शराब मेरा गम मिटाने की औकात नही रखती
दिखा के मदभरी आंखें कहा ये साकी ने हराम कहते हैं जिसको यह वो शराब नहीं
पी लिया करते हैं जीने की तमन्ना में कभी डगमगाना भी जरूरी है संभलने के लिए
नशा पिला के गिराना तो सब को आता है मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी
आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में फ़िराक़ जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए
चले तो पाँव के नीचे, कुचल गई कोई शय नशे की झोंक में देखा नहीं कि दुनिया है
न तुम होश में हो न हम होश में हैं चलो मय-कदे में वहीं बात होगी
वो नशा है के ज़बाँ अक़्ल से करती है फ़रेब तू मिरी बात के मफ़्हूम पे जाता है कहाँ
Shayari on Nasha
लोग कहते हैं रात बीत चुकी मुझ को समझाओ, मैं शराबी हूँ
पीता हूँ जितनी उतनी ही बढ़ती है तिश्नगी साक़ी ने जैसे प्यास मिला दी हो शराब में
हम इंतिज़ार करें हम को इतनी ताब नहीं पिला दो तुम हमें पानी अगर शराब नहीं
पीने से कर चुका था मैं तौबा मगर जलील बादल का रंग देख के नीयत बदल गई
नशा हम किया करते है, इलज़ाम शराब को दिया करते हैं कसूर शराब का नहीं उनका है, जिनका चेहरा हम जाम में तलाश किया करते हैं
मयखाने सजे थे, जाम का था दौर, जाम में क्या था, ये किसने किया गौर, जाम में गम था मेरे अरमानो का, और सब कह रहे थे एक और एक और
मयकश तुझको देखे भर से पीना छोड़े बैठे होंगे भूले से तुम छू दो तो फिर सालों तक भी नशा न उतरे
ख़ुश्क बातों में कहाँ है शैख़ कैफ़-ए-ज़िंदगी वो तो पी कर ही मिलेगा जो मज़ा पीने में है
मुझे नशा है, तुझे याद करने का और ये नशा मैं सरे आम करता हूॅ
शायद शराब पीके तुम्हें फ़ोन मैं करूँ बस इसलिए शराब कभी पी नहीं मैंने
Pyar Ka Nasha Shayari
नशा था उनके प्यार का, जिस में हम खो गए उन्हें भी नहीं पता चला, कि कब हम उनके हो गए
नशा अगर शराब का हो तो सही है प्रेम का नशा जिंदगी तबाह कर देता है
अगर ग़म मोहब्बत पे हाबी न होता खुदा की कसम मैं शराबी न होता
मुझे ऐसी शराब बता ऐ दोस्त नशा-ए-इश्क उतार पाऊ मै
लड़खड़ाये कदम तो गिरे उनकी बाँहों मे आज हमारा पीना ही, हमारे काम आ गया
डूब जाते हैं उन्ही के आंख में हम इस गली में कोई मै-खाना नही है
ये जो मैं होश में रहता नहीं तुमसे मिल कर ये मेरा इश्क़ है तुम इसको नशा मत समझो
उसने हर नशा सामने लाकर रख दिया और कहा सबसे बुरी लत कौन सी हैं, मैने कहा तेरे प्यार की
ये जो मैं होश में रहता नहीं तुमसे मिल कर ये मिरा इश्क़ है तुम इसको नशा मत समझो
इश्क़ से क़ातिल कोई नशा नहीं जनाब घूँट-घूँट पीते है और कतरा कतरा मरते है
Pyar Ka Nasha Shayari
होश में रहे कैसे इश्क़ का नशा करके होश जो हमें आए फिर नशा बुलाता है
पहले हमे भी मोहब्बत का नशा था यारो दिल जो टुटा तो नशे से ही मोहब्बत हो गई
खो जाता हूँ उनके बातों में कुछ अलग ही नशा है उनकी मुलाकातों में
नशा था ज़िंदगी का, शराबों से तेज़-तर हम गिर पड़े तो, मौत उठा ले गई हमें
हो गए बेहोश बेख़ुद और बेसुध इश्क़ में इस से ज़्यादा क्या डुबोयेगी हमें ये मयकशी
नशा छा गया है प्यार का, प्यार चाहता हूँ इंतजार है तेरा, तेरा भी दिल बेकरार चाहत हूँ
मोहब्बत है या नशा था जो भी था कमाल का था रूह तक उतारते उतारते जिस्म को खोखला कर गया
तुम्हारा प्यार तो सांसों में सांस लेता है जो होता नशा तो इक दिन उतर नहीं जाता
तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है
नशा सिर्फ में ‘प्यार’ में देखा है तेरे जाने के बाद, सब पानी होते देखा है
Nasha Quotes in Hindi
ये कैसा नशा है मैं किस अजब ख़ुमार में हूँ तू आ के जा भी चुका है मैं इंतिज़ार में हूँ
मिलावट है तेरे इश्क में इत्र और शराब की कभी हम महक जाते हैं कभी हम बहक जाते हैं
कभी लफ़्ज़ों में कशिश, कभी शायरी में नशा हुआ जो तेरा असर, अब मुझे होश कहाँ
किसी से मोहब्बत की जगह शराब से मोहब्बत कर लो शराब, नशा भी कराती है और धोखा भी नहीं देती
कुछ नशा तो आपकी बात का है, कुछ नशा तो धीमी बरसात का है हमें आप यूँ ही शराबी ना कहिये, इस दिल पर असर तो आप से मुलाकात का है
उम्र का मोड़, चाहे कोई भी हो बस धड़कनो में, नशा जिंदगी जीने का होना चाहिए
थोड़ी सी पी शराब, थोड़ी सी उछाल दी कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी
जिगर की आग बुझे जिससे जल्द वो शय ला लगा के बर्फ़ में साक़ी, सुराही-ए-मय ला
वो नशा है के ज़बाँ अक़्ल से करती है फ़रेब तू मिरी बात के मफ़्हूम पे जाता है कहाँ
यह शायरी लिखना उनका काम नहीं, जिनके दिल आँखों में बसा करते हैं शायरी तो वो शख्श लिखता है, जो शराब से नहीं कलम से नशा करता है
Nasha Shayari 2 Lines
प्यार मुहब्बत बाद की बातें, जान कभी ये सोचा है किसने तेरा साथ दिया था, कौन नशे में ख़त्म हुआ
दौलत जब मिली इंसान को, नशा ग़ुरूर का छा गया हालात जब मुफलिस हुए, देखिए ख़ुदा याद आ गया
मोहब्बत नशा है, नशा है मोहब्बत जिसे पहले होश आया वो बे-वफ़ा है
किसी लड़की को इतना चाहना मत भुलाने को उसे मदिरा पिओ तुम
तुम्हें खोकर के ये जाना है मैंने नशा किस काम आता है जहांँ में
लत हिन्दुगिरी की लगी है, तो नशा अब सरे आम होगा हर लम्हा मेरे जीवन का सिर्फ हिन्दुत्व के नाम होगा
एक तेरा ही नशा है जो शिकस्त दे गया मुझे वर्ना मयखाने भी तौबा करते थे मेरी मयकशी से
तेरी यादों का नशा है मुझे चाय की तरह, सुबह सबसे पहले तेरी ही याद आती हैं
वो अगर शराब है तो समझो कि मैं नशा हूँ कुछ इस तरह से भीतर उस शख़्स के बसा हूँ
अगर सच्ची हो मोहब्बत, तो खत्म होना मुश्किल है नशा कितना भी करलो, भूलना नामुकिन है
Nasha Shayari For Love
ऐ गर्दिशो तुम्हें ज़रा ताख़ीर हो गई अब मेरा इंतिज़ार करो मैं नशे में हूँ
बैठे हैं दिल में ये अरमां जगाये, के वो आज नजरों से अपनी पिलाये मजा तो तब ही आये पीने का यारो, शराब हम पियें और नशा उनको हो जाए
कुछ तो शराफत सीख ले, ऐ “इश्क़” शराब से बोतल पे लिखा तो होता है, मैं जानलेवा हूँ
अगर नशा इश्क़ का हो तो, शराब का क्या काम मंजिल महबूब का घर हो, दरगाह का क्या काम
नशा मोहब्बत का हो या, शराब का, होश दोनों में खो जाता है फर्क सिर्फ इतना है, शराब सुला देती है, और, मोहब्बत रुला देती है
मैं तोड़ लेता अगर वो गुलाब होती, मैं जवाब बनता अगर वो सवाल होती सब जानते हैं मैं नशा नहीं करता, फिर भी पी लेता अगर वो शराब होती
आशिकों को मुहब्बत के अलावा अगर कुछ काम होता, तो मखाने जाके हर रोज़ यूँ बदनाम ना होता मिल जाती चाहने वाली उसे भी कहीं राह में कोई, अगर कदमों में नशा और हाथ में जाम ना होता
ग़म इस कदर मिला कि घबरा के पी गए, ख़ुशी थोड़ी सी मिली तो मिला के पी गए यूँ तो ना थे जन्म से पीने की आदत, शराब को तनहा देखा तो तरस खा के पी गए
पहले मुफ्त में लुटा कर, इसकी आदत लगाई जाती है इश्क हो या नशा, बाद में दोनों की बडी कीमत वसूली जाती है
बड़ी भूल हुई अनजाने में, ग़म छोड़ आये महखाने में खा कर ठोकर ज़माने की, फिर लौट आये मयखाने में मुझे देख कर मेरे ग़म बोले, बड़ी देर लगा दी आने में
मुहब्बत, इश्क़, ये सब अब कहाँ होता है, बोतल दो, नशा करके, जहाँ मेरा, जहाँ लगता है, बोतल दो नहीं पीता अकेले मैं, बहुत हैं प्यार के मारे, मेरे जैसा शराबी वो, वहाँ रहता है, बोतल दो
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